Wednesday, November 16, 2011

A Rockstar Movie !

just back from seeing Rockstar.
Simply put, it is a movie that "grips".
A movie about the grandeur of magnificent pain...

....such life-defining agony that the muffled hum-drum of a comfortable, predictable daily life almost appears to be hiding from one the sense of being truly alive....


ज़िन्दगी में ऐसा दर्द तो हो
जिससे जीने का एहसास मिले
आने वाले लम्हे का बेसब्र इंतज़ार हो
यूँ न लगे दबा हूँ मुर्दा लम्हों के तले

ज़िन्दगी एक रुई के गांठे सी है
सुन्न है ! भरी है, पर खाली है....
कोई आकार नहीं, कोई विकार नहीं
न अज़ान है और ना कोई गाली है
                   बस, बेमतलब, निस्पृह और खाली है
                                                    ...............खाली है

मौत की देहलीज़ पे लगे,
कि मौत नहीं क़ुरबानी है !
या मौला! .......तेरी नज़्म......तेरी ग़ज़ल,
हर एक ज़ख्म तेरी निशानी है !

यूँ पैदा होने की
यूँ जीने की
                     यूँ मर जाने की
कोई वजह तो हो
कोई वजह ना सही, कम से कम एक बहाना तो हो

कटे नस से बहता हुआ खून ही सही .....
पुलिंदों को हिला दे, ऐसा कोई जूनून ही सही !!!!
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दुआओं के दरख़्त पे ये क्या धागा बाँध रहा हूँ
या खुदा, ये मैं तुझसे क्या मांग रहा हूँ !!!